by Rahul Chimanbhai Mehta Rrg at December 12, 2014 at 02:49PM
(pls only copy-paste, pls dont like- share). आरएसएस के सर्वोच्च नेता धर्मपरिवर्तन पर ढोल बजा रहे है लेकिन वास्तविकता में यह सिर्फ एक नकली शो है। . समाधान- जिला शिक्षा अधिकारी , जिला चिकित्सा अधिकारी , हेल्थ मिनिस्टर , एजुकेशन मिनिस्टर अादि पर राइट टू रिकॉल का कानून, दवाओ के पेटेंट कानून का रद्द करना , जूरी प्रणाली , सम्पति कर आदि कानून। बल पूर्वक धर्म में वापसी मिशनरियों को मदद करेगी क्यूंकि अमेरिका और यूरोप से उनके लिए सहानुभूति पैदा होगी और फण्ड में बढ़ोतरी होगी। . (aside --- pls only copy-paste, pls dont like- share. like-share send notifictaion and disturbs me. I get 400-500 notifications a day, and that ruins my time and my day. so pls dont waste my time by liking-sharing. if you like this pos, pls use ONLY copy-paste, and PLS NOT PUT LINK TO MY PROFILE in your post. And pls dont tag me, as that also send me a notification --- TIA). . ज्यादातर दलित और आदिवासी बलपूर्वक नहीं बल्कि मज़बूरी में धरम बदलते है . (१) शिक्षा ,(२) चिकित्सा (३) काम ब्यास दरें (४) पैसे का लालच जो की कम होता है। हिन्दू धर्म से इस्लाम धर्म में जाना अब दुर्लभ है। अधिकतर धर्मान्तरण अब हिन्दू से ईसाइयो में हो रहे है। . आरएसएस के नेता जितने धरम परिवर्तन करवाने का दावा कर रहे है उससे 20 गुना ज्यादा मिशनरीज करवा रहे है। आरएसएस के सर्वोच्च नेता आरएसएस के प्रचारको को बेवकूफ बना रहे है। मोहन भगवत यह क्यों नहीं बता रहे 2011 के धार्मिक आंकड़े क्यों सरकार ने छुपा रखे है क्यूंकि अगर यह अकड़े सामने आ जाये तो तो लोगो को पता चल जायेगा की गुजरात में ईसाइयों की संख्या 2001 से 2011 के बीच 5- 6 % गरीब हिन्दू ने ईसाई धर्म अपनाया है। और यह सब नमो के FDI मॉडल का नतीजा है। . नमो/सोनिया/केजरीवाल/आरएसएस/मोहन भगवत /योगी अददित्यनाथ / सबने २०११ के धार्मिंक अकड़े छिपाए है और यह मुद्दा कोई नहीं उठा रहा है। . ek तरफ सरकार मंदिरो के ऊपर कब्ज़ा कर रही है उसका सोना लूट रही है। इस वजह से मंदिरो के ट्रस्ट हिन्दू समाज की सुरक्षा और उन्नति के लिए कुछ नहीं कर प् रहे है। . आइये कुछ कारन जिससे मिशनरी हिन्दुओ का धरम परिवर्तन करवाती है। . 1. मिशनरी स्कूल में शिक्षा- सारी राजनैतिक पार्टिया और उनके कार्यकर्ताओ RTR एजुकेशन मिनिस्टर का विरोध करते है। इसकी वजह से यह shiksha के अधिकारी पैसे खा खा के सरकारी स्कूल को बर्बाद कर रहे है। गरीब आदिवासी के पास कोई चारा नहीं मिशनरियों की शरण में जाने का। मोदी/सोनिया/केजरीवाल/मोहंभागवत /अददित्यनाथ आरएसएस/ बी एस टी आदि के कार्यकर्ता खुद एक समस्या है समाधान नहीं। . 2. मुफ्त दवाइया - कांग्रेस/भाजपा के सांसदों ने रिश्वत खा खा के दवाइयों के ऊपर पेटेंट का कानून पास किया। जिसकी वजह से दवाइयों के डैम आसमान छु रहे है। पेस्टिसाइड के प्रयोग ने आदिवासियों में गंभीर बीमारियो को बढ़ाया है। सरकार दवाइया भी नहीं देती। विदेशी कंपनियों के मालिक दस हजार की दवाई को १ लाख तक में बेचते है और उसका दस फीसदी हिसा मुफ्त दवाइयों के लिए मिशनरियों को देते है। bhajapa/कांग्रेस/आप आदि पार्टिया हेल्थ मिनिस्टर के ऊपर राइट तो रिकॉल का विरोध करती है इसकी वजह सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और धर्मान्तरण भी। . .3. मिशनरियों द्वारा कम ब्याज दरे- कांग्रेस/भाजपा के माफिया प्रति माह 20 % तक ब्याज दर पर आदिवासियों और दलितों को पैसे देते है। हाँ 20% तक ब्याज दर पर !वही मिशनरी नेटवर्क वाले 3-4 फीसदी ब्याज दर पर आदिवासियों को ऋण देते है। साडी राजनैतिक पार्टिया ऐसे कानूनो का विरोध करती है जिसमे ब्याज दरों को काबू किया जाये। और धर्मान्तरण को बढ़ावा देती है। सचाई यह है आरएसएस का घर वापसी एक शोर है और सचाई कुछ और। . 4 नकद पैसा - यह दुर्लभ है। . समाधान = . राइट टू रिकॉल ग्रुप की तरफ से कुछ कानूनी समाधान दिए गए है जैसे , जिला शिक्षा अधिकारी , झील चिकित्सा अधिकारी , हेल्थ मिनिस्टर , एजुकेशन मिनिस्टर अादि पर राइट टू रिकॉल का कानून ताकि अगर वो अपना काम न करे तो जनता उन्हें हटा सके। . दवाइयों पर से पेटेंट का कानून हटाना , मंदिरो को सरकारी नियंट्रण से मुक्त करना , 2011 के धार्मिक अकड़े प्रकाशित करना जो सोनिआ गांधी ने छुपा दिए था और नमो भी छुपाये हुए है। . अपने नेताओ और पार्टियो की अंधभक्ति बांध करे और उनसे यह सरे कानून के ड्राफ्ट मांगे।
by Rahul Chimanbhai Mehta Rrg
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